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وَنَادَيْنٰهُ مِنْ جَانِبِ الطُّوْرِ الْاَيْمَنِ وَقَرَّبْنٰهُ نَجِيًّا   ( مريم: ٥٢ )

And We called him
وَنَٰدَيْنَٰهُ
और पुकारा हमने उसे
from
مِن
जानिब से
(the) side
جَانِبِ
जानिब से
(of) the Mount
ٱلطُّورِ
तूर की
the right
ٱلْأَيْمَنِ
दाऐं
and brought him near
وَقَرَّبْنَٰهُ
और क़रीब कर लिया हमने उसे
(for) conversation
نَجِيًّا
सरगोशी के लिए

Wanadaynahu min janibi alttoori alaymani waqarrabnahu najiyyan (Maryam 19:52)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

हमने उसे 'तूर' के मुबारक छोर से पुकारा और रहस्य की बातें करने के लिए हमने उसे समीप किया

English Sahih:

And We called him from the side of the mount at [his] right and brought him near, confiding [to him]. ([19] Maryam : 52)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हमने उनको (कोहे तूर) की दाहिनी तरफ़ से आवाज़ दी और हमने उन्हें राज़ व नियाज़ की बातें करने के लिए अपने क़रीब बुलाया