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يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَنْفِقُوْا مِمَّا رَزَقْنٰكُمْ مِّنْ قَبْلِ اَنْ يَّأْتِيَ يَوْمٌ لَّا بَيْعٌ فِيْهِ وَلَا خُلَّةٌ وَّلَا شَفَاعَةٌ ۗوَالْكٰفِرُوْنَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ  ( البقرة: ٢٥٤ )

O you
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
who
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
believe[d]!
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
Spend
أَنفِقُوا۟
ख़र्च करो
of what
مِمَّا
उसमें से जो
We (have) provided you
رَزَقْنَٰكُم
रिज़्क़ दिया हमने तुम्हें
from
مِّن
इससे पहले
before
قَبْلِ
इससे पहले
that
أَن
कि
comes
يَأْتِىَ
आ जाए
a Day
يَوْمٌ
वो दिन
no
لَّا
नहीं
bargaining
بَيْعٌ
कोई ख़रीद व फ़रोख़्त
in it
فِيهِ
उसमें
and no
وَلَا
और ना
friendship
خُلَّةٌ
कोई दोस्ती
and no
وَلَا
और ना
intercession
شَفَٰعَةٌۗ
कोई सिफ़ारिश
And the deniers
وَٱلْكَٰفِرُونَ
और जो काफ़िर हैं
they
هُمُ
वो ही
(are) the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمُونَ
ज़ालिम हैं

Ya ayyuha allatheena amanoo anfiqoo mimma razaqnakum min qabli an yatiya yawmun la bay'un feehi wala khullatun wala shafa'atun waalkafiroona humu alththalimoona (al-Baq̈arah 2:254)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ऐ ईमान लानेवालो! हमने जो कुछ तुम्हें प्रदान किया है उसमें से ख़र्च करो, इससे पहले कि वह दिन आ जाए जिसमें न कोई क्रय-विक्रय होगा और न कोई मित्रता होगी और न कोई सिफ़ारिश। ज़ालिम वही है, जिन्होंने इनकार की नीति अपनाई है

English Sahih:

O you who have believed, spend from that which We have provided for you before there comes a Day in which there is no exchange [i.e., ransom] and no friendship and no intercession. And the disbelievers – they are the wrongdoers. ([2] Al-Baqarah : 254)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ऐ ईमानदारों जो कुछ हमने तुमको दिया है उस दिन के आने से पहले (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करो जिसमें न तो ख़रीदो फरोख्त होगी और न यारी (और न आशनाई) और न सिफ़ारिश (ही काम आयेगी) और कुफ़्र करने वाले ही तो जुल्म ढाते हैं