۞ وَاِنْ كُنْتُمْ عَلٰى سَفَرٍ وَّلَمْ تَجِدُوْا كَاتِبًا فَرِهٰنٌ مَّقْبُوْضَةٌ ۗفَاِنْ اَمِنَ بَعْضُكُمْ بَعْضًا فَلْيُؤَدِّ الَّذِى اؤْتُمِنَ اَمَانَتَهٗ وَلْيَتَّقِ اللّٰهَ رَبَّهٗ ۗ وَلَا تَكْتُمُوا الشَّهَادَةَۗ وَمَنْ يَّكْتُمْهَا فَاِنَّهٗٓ اٰثِمٌ قَلْبُهٗ ۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ عَلِيْمٌ ࣖ ( البقرة: ٢٨٣ )
Wain kuntum 'ala safarin walam tajidoo katiban farihanun maqboodatun fain amina ba'dukum ba'dan falyuaddi allathee itumina amanatahu walyattaqi Allaha rabbahu wala taktumoo alshshahadata waman yaktumha fainnahu athimun qalbuhu waAllahu bima ta'maloona 'aleemun (al-Baq̈arah 2:283)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और यदि तुम किसी सफ़र में हो और किसी लिखनेवाले को न पा सको, तो गिरवी रखकर मामला करो। फिर यदि तुममें से एक-दूसरे पर भरोसा के, तो जिस पर भरोसा किया है उसे चाहिए कि वह यह सच कर दिखाए कि वह विश्वासपात्र है और अल्लाह का, जो उसका रब है, डर रखे। और गवाही को न छिपाओ। जो उसे छिपाता है तो निश्चय ही उसका दिल गुनाहगार है, और तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है
English Sahih:
And if you are on a journey and cannot find a scribe, then a security deposit [should be] taken. And if one of you entrusts another, then let him who is entrusted discharge his trust [faithfully] and let him fear Allah, his Lord. And do not conceal testimony, for whoever conceals it – his heart is indeed sinful, and Allah is Knowing of what you do. ([2] Al-Baqarah : 283)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और अगर तुम सफ़र में हो और कोई लिखने वाला न मिले (और क़र्ज़ देना हो) तो रहन या कब्ज़ा रख लो और अगर तुममें एक का एक को एतबार हो तो (यूं ही क़र्ज़ दे सकता है मगर) फिर जिस शख्स पर एतबार किया गया है (क़र्ज़ लेने वाला) उसको चाहिये क़र्ज़ देने वाले की अमानत (क़र्ज़) पूरी पूरी अदा कर दे और अपने पालने वाले ख़ुदा से डरे (मुसलमानो) तुम गवाही को न छिपाओ और जो छिपाएगा तो बेशक उसका दिल गुनाहगार है और तुम लोग जो कुछ करते हो ख़ुदा उसको ख़ूब जानता है