اِذْ رَاٰ نَارًا فَقَالَ لِاَهْلِهِ امْكُثُوْٓا اِنِّيْ اٰنَسْتُ نَارًا لَّعَلِّيْٓ اٰتِيْكُمْ مِّنْهَا بِقَبَسٍ اَوْ اَجِدُ عَلَى النَّارِ هُدًى ( طه: ١٠ )
When
إِذْ
जब
he saw
رَءَا
उसने देखी
a fire
نَارًا
आग
then he said
فَقَالَ
पस कहा
to his family
لِأَهْلِهِ
अपने घर वालों से
"Stay here;
ٱمْكُثُوٓا۟
ठहरो
indeed I
إِنِّىٓ
बेशक मैं
[I] perceived
ءَانَسْتُ
देखी है मैंने
a fire;
نَارًا
एक आग
perhaps I (can)
لَّعَلِّىٓ
शायद कि मैं
bring you
ءَاتِيكُم
मैं ले आऊँ तुम्हारे पास
therefrom
مِّنْهَا
उसमें से
a burning brand
بِقَبَسٍ
शोला/अंगारा
or
أَوْ
या
I find
أَجِدُ
मैं पाऊँ
at
عَلَى
उस आग पर
the fire
ٱلنَّارِ
उस आग पर
guidance"
هُدًى
रहनुमाई
Ith raa naran faqala liahlihi omkuthoo innee anastu naran la'allee ateekum minha biqabasin aw ajidu 'ala alnnari hudan (Ṭāʾ Hāʾ 20:10)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जबकि उसने एक आग देखी तो उसने अपने घरवालों से कहा, 'ठहरो! मैंने एक आग देखी है। शायद कि तुम्हारे लिए उसमें से कोई अंगारा ले आऊँ या उस आग पर मैं मार्ग का पता पा लूँ।'
English Sahih:
When he saw a fire and said to his family, "Stay here; indeed, I have perceived a fire; perhaps I can bring you a torch or find at the fire some guidance." ([20] Taha : 10)