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جَنّٰتُ عَدْنٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَا ۗوَذٰلِكَ جَزٰۤؤُا مَنْ تَزَكّٰى ࣖ  ( طه: ٧٦ )

Gardens
جَنَّٰتُ
बाग़ात
(of) Eden
عَدْنٍ
हमेशगी के
flows
تَجْرِى
बहती हैं
from
مِن
उनके नीचे से
underneath them
تَحْتِهَا
उनके नीचे से
the rivers
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
abiding forever
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
in it
فِيهَاۚ
उनमें
And that
وَذَٰلِكَ
और ये
(is) the reward
جَزَآءُ
बदला है
(for him) who
مَن
उसका जो
purifies himself
تَزَكَّىٰ
पाकीज़गी इख़्तियार करे

Jannatu 'adnin tajree min tahtiha alanharu khalideena feeha wathalika jazao man tazakka (Ṭāʾ Hāʾ 20:76)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अदन के बाग़ है, जिनके नीचें नहरें बहती होंगी। उनमें वे सदैव रहेंगे। यह बदला है उसका जिसने स्वयं को विकसित किया--

English Sahih:

Gardens of perpetual residence beneath which rivers flow, wherein they abide eternally. And that is the reward of one who purifies himself. ([20] Taha : 76)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

वह सदाबहार बाग़ात जिनके नीचे नहरें जारी हैं वह लोग उसमें हमेशा रहेंगे और जो गुनाह से पाक व पाकीज़ा रहे उस का यही सिला है