بَلْ نَقْذِفُ بِالْحَقِّ عَلَى الْبَاطِلِ فَيَدْمَغُهٗ فَاِذَا هُوَ زَاهِقٌۗ وَلَكُمُ الْوَيْلُ مِمَّا تَصِفُوْنَ ( الأنبياء: ١٨ )
Nay
بَلْ
बल्कि
We hurl
نَقْذِفُ
हम फेंकते हैं
the truth
بِٱلْحَقِّ
हक़ को
against
عَلَى
बातिल पर
[the] falsehood
ٱلْبَٰطِلِ
बातिल पर
and it breaks its head
فَيَدْمَغُهُۥ
पस वो सर तोड़ देता है उसका
behold
فَإِذَا
तो यकायक
it (is)
هُوَ
वो
vanishing
زَاهِقٌۚ
ज़ाइल हो जाता है
And for you
وَلَكُمُ
और तुम्हारे लिए
(is) destruction
ٱلْوَيْلُ
हलाकत है
for what
مِمَّا
उससे जो
you ascribe
تَصِفُونَ
तुम बयान करते हो
Bal naqthifu bialhaqqi 'ala albatili fayadmaghuhu faitha huwa zahiqun walakumu alwaylu mimma tasifoona (al-ʾAnbiyāʾ 21:18)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
नहीं, बल्कि हम तो असत्य पर सत्य की चोट लगाते है, तो वह उसका सिर तोड़ देता है। फिर क्या देखते है कि वह मिटकर रह जाता है और तुम्हारे लिए तबाही है उन बातों के कारण जो तुम बनाते हो!
English Sahih:
Rather, We dash the truth upon falsehood, and it destroys it, and thereupon it departs. And for you is destruction from that which you describe. ([21] Al-Anbya : 18)