بَلْ مَتَّعْنَا هٰٓؤُلَاۤءِ وَاٰبَاۤءَهُمْ حَتّٰى طَالَ عَلَيْهِمُ الْعُمُرُۗ اَفَلَا يَرَوْنَ اَنَّا نَأْتِى الْاَرْضَ نَنْقُصُهَا مِنْ اَطْرَافِهَاۗ اَفَهُمُ الْغٰلِبُوْنَ ( الأنبياء: ٤٤ )
Bal matta'na haolai waabaahum hatta tala 'alayhimu al'umuru afala yarawna anna natee alarda nanqusuha min atrafiha afahumu alghaliboona (al-ʾAnbiyāʾ 21:44)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
बल्कि बात यह है कि हमने उन्हें और उनके बाप-दादा को सुख-सुविधा प्रदान की, यहाँ तक कि इसी दशा में एक लम्बी मुद्दत उनपर गुज़र गई, तो क्या वे देखते नहीं कि हम इस भूभाग को उसके चतुर्दिक से घटाते हुए बढ़ रहे है? फिर क्या वे अभिमानी रहेंगे?
English Sahih:
But, [on the contrary], We have provided good things for these [disbelievers] and their fathers until life was prolonged for them. Then do they not see that We set upon the land, reducing it from its borders? Is it they who will overcome? ([21] Al-Anbya : 44)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
बल्कि हम ही ने उनको और उनके बुर्जुग़ों को आराम व चैन रहा यहाँ तक कि उनकी उम्रें बढ़ गई तो फिर क्या ये लोग नहीं देखते कि हम रूए ज़मीन को चारों तरफ से क़ब्ज़ा करते और उसको फतेह करते चले आते हैं तो क्या (अब भी यही लोग कुफ्फ़ारे मक्का) ग़ालिब और वर हैं