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وَدَاوٗدَ وَسُلَيْمٰنَ اِذْ يَحْكُمٰنِ فِى الْحَرْثِ اِذْ نَفَشَتْ فِيْهِ غَنَمُ الْقَوْمِۚ وَكُنَّا لِحُكْمِهِمْ شٰهِدِيْنَ ۖ  ( الأنبياء: ٧٨ )

And Dawud
وَدَاوُۥدَ
और दाऊद
and Sulaiman
وَسُلَيْمَٰنَ
और सुलैमान
when
إِذْ
जब
they judged
يَحْكُمَانِ
वो दोनों फ़ैसला कर रहे थे
concerning
فِى
खेत के मामले में
the field
ٱلْحَرْثِ
खेत के मामले में
when
إِذْ
जब
pastured
نَفَشَتْ
रात को चर लिया था
in it
فِيهِ
उसमें
sheep
غَنَمُ
बकरियों ने
(of) a people
ٱلْقَوْمِ
क़ौम की
and We were
وَكُنَّا
और थे हम
to their judgment
لِحُكْمِهِمْ
उनके फ़ैसले को
witness
شَٰهِدِينَ
देखने वाले

Wadawooda wasulaymana ith yahkumani fee alharthi ith nafashat feehi ghanamu alqawmi wakunna lihukmihim shahideena (al-ʾAnbiyāʾ 21:78)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

औऱ दाऊद और सुलैमान पर भी हमने कृपा-स्पष्ट की। याद करो जबकि वे दोनों खेती के एक झगड़े का निबटारा कर रहे थे, जब रात को कुछ लोगों की बकरियाँ उसे रौंद गई थीं। और उनका (क़ौम के लोगों का) फ़ैसला हमारे सामने था

English Sahih:

And [mention] David and Solomon, when they judged concerning the field – when the sheep of a people overran it [at night], and We were witness to their judgement. ([21] Al-Anbya : 78)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (ऐ रसूल इनको) दाऊद और सुलेमान का (वाक्या याद दिलाओ) जब ये दोनों एक खेती के बारे में जिसमें रात के वक्त क़ुछ लोगों की बकरियाँ (घुसकर) चर गई थी फैसला करने बैठे और हम उन लोगों के क़िस्से को देख रहे थे (कि बाहम इख़तेलाफ़ हुआ)