۞ وَاَقْسَمُوْا بِاللّٰهِ جَهْدَ اَيْمَانِهِمْ لَىِٕنْ اَمَرْتَهُمْ لَيَخْرُجُنَّۗ قُلْ لَّا تُقْسِمُوْاۚ طَاعَةٌ مَّعْرُوْفَةٌ ۗاِنَّ اللّٰهَ خَبِيْرٌۢ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ( النور: ٥٣ )
Waaqsamoo biAllahi jahda aymanihim lain amartahum layakhrujunna qul la tuqsimoo ta'atun ma'roofatun inna Allaha khabeerun bima ta'maloona (an-Nūr 24:53)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वे अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाते है कि यदि तुम उन्हें हुक्म दो तो वे अवश्य निकल खड़े होंगे। कह दो, 'क़समें न खाओ। सामान्य नियम के अनुसार आज्ञापालन ही वास्तकिव चीज़ है। तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसकी ख़बर रखता है।'
English Sahih:
And they swear by Allah their strongest oaths that if you ordered them, they would go forth [in Allah's cause]. Say, "Do not swear. [Such] obedience is known. Indeed, Allah is [fully] Aware of that which you do." ([24] An-Nur : 53)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ऐ रसूल) उन (मुनाफेक़ीन) ने तुम्हारी इताअत की ख़ुदा की सख्त से सख्त क़समें खाई कि अगर तुम उन्हें हुक्म दो तो बिला उज़्र (घर बार छोड़कर) निकल खडे हों- तुम कह दो कि क़समें न खाओ दस्तूर के मुवाफिक़ इताअत (इससे बेहतर) और बेशक तुम जो कुछ करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है