لَا تَحْسَبَنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مُعْجِزِيْنَ فِى الْاَرْضِۚ وَمَأْوٰىهُمُ النَّارُۗ وَلَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ࣖ ( النور: ٥٧ )
(Do) not
لَا
हरगिज़ ना समझिये आप
think
تَحْسَبَنَّ
हरगिज़ ना समझिये आप
those who
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
(can) escape
مُعْجِزِينَ
कि वो आजिज़ करने वाले हैं
in
فِى
ज़मीन में
the earth
ٱلْأَرْضِۚ
ज़मीन में
And their abode
وَمَأْوَىٰهُمُ
और ठिकाना उनका
(will be) the Fire
ٱلنَّارُۖ
आग है
and wretched is
وَلَبِئْسَ
और यक़ीनन कितनी बुरी है
the destination
ٱلْمَصِيرُ
लौटने की जगह
La tahsabanna allatheena kafaroo mu'jizeena fee alardi wamawahumu alnnaru walabisa almaseeru (an-Nūr 24:57)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यह कदापि न समझो कि इनकार की नीति अपनानेवाले धरती में क़ाबू से बाहर निकल जानेवाले है। उनका ठिकाना आग है, और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है
English Sahih:
Never think that the disbelievers are causing failure [to Allah] upon the earth. Their refuge will be the Fire – and how wretched the destination. ([24] An-Nur : 57)