وَهُوَ الَّذِيْ جَعَلَ لَكُمُ الَّيْلَ لِبَاسًا وَّالنَّوْمَ سُبَاتًا وَّجَعَلَ النَّهَارَ نُشُوْرًا ( الفرقان: ٤٧ )
And He
وَهُوَ
और वो ही है
(is) the One Who
ٱلَّذِى
जिसने
made
جَعَلَ
बनाया
for you
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
the night
ٱلَّيْلَ
रात को
(as) a covering
لِبَاسًا
लिबास
and the sleep
وَٱلنَّوْمَ
और नींद को
a rest
سُبَاتًا
बाइसे आराम
and made
وَجَعَلَ
और उसने बनाया
the day
ٱلنَّهَارَ
दिन को
a resurrection
نُشُورًا
उठने का वक़्त
Wahuwa allathee ja'ala lakumu allayla libasan waalnnawma subatan waja'ala alnnahara nushooran (al-Furq̈ān 25:47)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वही है जिसने रात्रि को तुम्हारे लिए वस्त्र और निद्रा को सर्वथा विश्राम एवं शान्ति बनाया और दिन को जी उठने का समय बनाया
English Sahih:
And it is He who has made the night for you as clothing and sleep [a means for] rest and has made the day a resurrection. ([25] Al-Furqan : 47)