وَاِذَا قِيْلَ لَهُمُ اسْجُدُوْا لِلرَّحْمٰنِ قَالُوْا وَمَا الرَّحْمٰنُ اَنَسْجُدُ لِمَا تَأْمُرُنَا وَزَادَهُمْ نُفُوْرًا ۩ ࣖ ( الفرقان: ٦٠ )
And when
وَإِذَا
और जब
it is said
قِيلَ
कहा जाता है
to them
لَهُمُ
उन्हें
"Prostrate
ٱسْجُدُوا۟
सजदा करो
to the Most Gracious"
لِلرَّحْمَٰنِ
रहमान को
They say
قَالُوا۟
वो कहते हैं
"And what
وَمَا
और क्या है
(is) the Most Gracious?
ٱلرَّحْمَٰنُ
रहमान
Should we prostrate
أَنَسْجُدُ
क्या हम सजदा करें
to what
لِمَا
उसे जो
you order us?"
تَأْمُرُنَا
तुम हुक्म देते हो हमें
And it increases them
وَزَادَهُمْ
और उसने ज़्यादा कर दिया उन्हें
(in) aversion
نُفُورًا۩
नफ़रत में
Waitha qeela lahumu osjudoo lilrrahmani qaloo wama alrrahmanu anasjudu lima tamuruna wazadahum nufooran (al-Furq̈ān 25:60)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उन लोगों से जब कहा जाता है कि 'रहमान को सजदा करो' तो वे कहते है, 'और रहमान क्या होता है? क्या जिसे तू हमसे कह दे उसी को हम सजदा करने लगें?' और यह चीज़ उनकी घृणा को और बढ़ा देती है
English Sahih:
And when it is said to them, "Prostrate to the Most Merciful," they say, "And what is the Most Merciful? Should we prostrate to that which you order us?" And it increases them in aversion. ([25] Al-Furqan : 60)