وَيَوْمَ نَحْشُرُ مِنْ كُلِّ اُمَّةٍ فَوْجًا مِّمَّنْ يُّكَذِّبُ بِاٰيٰتِنَا فَهُمْ يُوْزَعُوْنَ ( النمل: ٨٣ )
And (the) Day
وَيَوْمَ
और जिस दिन
We will gather
نَحْشُرُ
हम इकट्ठा करेंगे
from
مِن
हर उम्मत में से
every
كُلِّ
हर उम्मत में से
nation
أُمَّةٍ
हर उम्मत में से
a troop
فَوْجًا
एक फ़ौज को
of (those) who
مِّمَّن
उनमें से जो
deny
يُكَذِّبُ
झुठलाते हैं
Our Signs
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात को
and they
فَهُمْ
तो वो
will be set in rows
يُوزَعُونَ
वो गिरोहों में तक़सीम किए जाऐंगे
Wayawma nahshuru min kulli ommatin fawjan mimman yukaththibu biayatina fahum yooza'oona (an-Naml 27:83)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जिस दिन हम प्रत्येक समुदाय में से एक गिरोह, ऐसे लोगों का जो हमारी आयतों को झुठलाते है, घेर लाएँगे। फिर उनकी दर्जाबन्दी की जाएगी
English Sahih:
And [warn of] the Day when We will gather from every nation a company of those who deny Our signs, and they will be [driven] in rows ([27] An-Naml : 83)