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اِنَّمَآ اُمِرْتُ اَنْ اَعْبُدَ رَبَّ هٰذِهِ الْبَلْدَةِ الَّذِيْ حَرَّمَهَا وَلَهٗ كُلُّ شَيْءٍ وَّاُمِرْتُ اَنْ اَكُوْنَ مِنَ الْمُسْلِمِيْنَ ۙ  ( النمل: ٩١ )

"Only
إِنَّمَآ
बेशक
I am commanded
أُمِرْتُ
हुक्म दिया गया है मुझे
that
أَنْ
कि
I worship
أَعْبُدَ
मैं इबादत करूँ
(the) Lord
رَبَّ
रब की
(of) this
هَٰذِهِ
इस
city
ٱلْبَلْدَةِ
शहर के
the One Who
ٱلَّذِى
वो जिसने
made it sacred
حَرَّمَهَا
हराम ठहराया इसे
and to Him (belongs)
وَلَهُۥ
और उसी के लिए है
all
كُلُّ
हर
things
شَىْءٍۖ
चीज़
And I am commanded
وَأُمِرْتُ
और हुक्म दिया गया है मुझे
that
أَنْ
कि
I be
أَكُونَ
मैं हो जाऊँ
of
مِنَ
फ़रमाबरदारों में से
the Muslims
ٱلْمُسْلِمِينَ
फ़रमाबरदारों में से

Innama omirtu an a'buda rabba hathihi albaldati allathee harramaha walahu kullu shayin waomirtu an akoona mina almuslimeena (an-Naml 27:91)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

मुझे तो बस यही आदेश मिला है कि इस नगर (मक्का) के रब की बन्दगी करूँ, जिसने इस आदरणीय ठहराया और उसी की हर चीज़ है। और मुझे आदेश मिला है कि मैं आज्ञाकारी बनकर रहूँ

English Sahih:

[Say, O Muhammad], "I have only been commanded to worship the Lord of this city, who made it sacred and to whom [belongs] all things. And I am commanded to be of the Muslims [i.e., those who submit to Allah]. ([27] An-Naml : 91)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल उनसे कह दो कि) मुझे तो बस यही हुक्म दिया गया है कि मै इस शहर (मक्का) के मालिक की इबादत करुँ जिसने उसे इज्ज़त व हुरमत दी है और हर चीज़ उसकी है और मुझे ये हुक्म दिया गया कि मै (उसके) फरमाबरदार बन्दों में से हूँ