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وَلَوْلَآ اَنْ تُصِيْبَهُمْ مُّصِيْبَةٌ ۢبِمَا قَدَّمَتْ اَيْدِيْهِمْ فَيَقُوْلُوْا رَبَّنَا لَوْلَآ اَرْسَلْتَ اِلَيْنَا رَسُوْلًا فَنَتَّبِعَ اٰيٰتِكَ وَنَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ   ( القصص: ٤٧ )

And if not
وَلَوْلَآ
और अगर ना होता
[that]
أَن
ये कि
struck them
تُصِيبَهُم
पहुँचती उन्हें
a disaster
مُّصِيبَةٌۢ
कोई मुसीबत
for what
بِمَا
बवजह उसके जो
had sent forth
قَدَّمَتْ
आगे भेजा
their hands
أَيْدِيهِمْ
उनके दोनों हाथों ने
and they would say
فَيَقُولُوا۟
तो वो कहते
"Our Lord!
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
Why not
لَوْلَآ
क्यों ना
You sent
أَرْسَلْتَ
भेजा तू ने
to us
إِلَيْنَا
हमारी तरफ़
a Messenger
رَسُولًا
कोई रसूल
so we (could have) followed
فَنَتَّبِعَ
तो हम पैरवी करते
Your Verses
ءَايَٰتِكَ
तेरी आयात की
and we (would) have been
وَنَكُونَ
और हम हो जाते
of
مِنَ
ईमान लाने वालों में से
the believers?"
ٱلْمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वालों में से

Walawla an tuseebahum museebatun bima qaddamat aydeehim fayaqooloo rabbana lawla arsalta ilayna rasoolan fanattabi'a ayatika wanakoona mina almumineena (al-Q̈aṣaṣ 28:47)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

(हम रसूल बनाकर न भेजते) यदि यह बात न होती कि जो कुछ उनके हाथ आगे भेज चुके है उसके कारण जब उनपर कोई मुसीबत आए तो वे कहने लगें, 'ऐ हमारे रब, तूने क्यों न हमारी ओर कोई रसूल भेजा कि हम तेरी आयतों का (अनुसरण) करते और मोमिन होते?'

English Sahih:

And if not that a disaster should strike them for what their hands put forth [of sins] and they would say, "Our Lord, why did You not send us a messenger so we could have followed Your verses and been among the believers?"... ([28] Al-Qasas : 47)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अगर ये नही होता कि जब उन पर उनकी अगली करतूतों की बदौलत कोई मुसीबत पड़ती तो बेसाख्ता कह बैठते कि परवरदिगार तूने हमारे पास कोई पैग़म्बर क्यों न भेजा कि हम तेरे हुक्मों पर चलते और ईमानदारों में होते (तो हम तुमको न भेजते )