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وَمَا كُنْتَ تَرْجُوْٓا اَنْ يُّلْقٰٓى اِلَيْكَ الْكِتٰبُ اِلَّا رَحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَ فَلَا تَكُوْنَنَّ ظَهِيْرًا لِّلْكٰفِرِيْنَ ۖ   ( القصص: ٨٦ )

And not
وَمَا
और ना
you were
كُنتَ
थे आप
expecting
تَرْجُوٓا۟
आप उम्मीद रखते
that
أَن
कि
would be sent down
يُلْقَىٰٓ
इल्क़ा की जाएगी
to you
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
the Book
ٱلْكِتَٰبُ
किताब
except
إِلَّا
मगर
(as) a mercy
رَحْمَةً
रहमत है
from
مِّن
आपके रब की तरफ़ से
your Lord
رَّبِّكَۖ
आपके रब की तरफ़ से
So (do) not
فَلَا
पस हरगिज़ ना हों आप
be
تَكُونَنَّ
पस हरगिज़ ना हों आप
an assistant
ظَهِيرًا
मददगार
to the disbelievers
لِّلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के

Wama kunta tarjoo an yulqa ilayka alkitabu illa rahmatan min rabbika fala takoonanna thaheeran lilkafireena (al-Q̈aṣaṣ 28:86)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

तुम तो इसकी आशा नहीं रखते थे कि तुम्हारी ओर किताब उतारी जाएगी। इसकी संभावना तो केवल तुम्हारे रब की दयालुता के कारण हुई। अतः तुम इनकार करनेवालों के पृष्ठपोषक न बनो

English Sahih:

And you were not expecting that the Book would be conveyed to you, but [it is] a mercy from your Lord. So do not be an assistant to the disbelievers. ([28] Al-Qasas : 86)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

इससे मेरा परवरदिगार ख़ूब वाक़िफ है और तुमको तो ये उम्मीद न थी कि तुम्हारे पास ख़ुदा की तरफ से किताब नाज़िल की जाएगी मगर तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी से नाज़िल हुई तो तुम हरग़िज़ काफिरों के पुश्त पनाह न बनना