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وَمَا كُنْتَ تَتْلُوْا مِنْ قَبْلِهٖ مِنْ كِتٰبٍ وَّلَا تَخُطُّهٗ بِيَمِيْنِكَ اِذًا لَّارْتَابَ الْمُبْطِلُوْنَ  ( العنكبوت: ٤٨ )

And not
وَمَا
और ना
(did) you
كُنتَ
थे आप
recite
تَتْلُوا۟
आप पढ़ते
before it
مِن
इससे पहले
before it
قَبْلِهِۦ
इससे पहले
any
مِن
कोई किताब
Book
كِتَٰبٍ
कोई किताब
and not
وَلَا
और ना
(did) you write it
تَخُطُّهُۥ
आप लिखते थे उसे
with your right hand
بِيَمِينِكَۖ
अपने दाऐं हाथ से
in that case
إِذًا
तब
surely (would) have doubted
لَّٱرْتَابَ
अलबत्ता शक में पड़ जाते
the falsifiers
ٱلْمُبْطِلُونَ
बातिल परस्त

Wama kunta tatloo min qablihi min kitabin wala takhuttuhu biyameenika ithan lairtaba almubtiloona (al-ʿAnkabūt 29:48)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

इससे पहले तुम न कोई किताब पढ़ते थे और न उसे अपने हाथ से लिखते ही थे। ऐसा होता तो ये मिथ्यावादी सन्देह में पड़ सकते थे

English Sahih:

And you did not recite before it any scripture, nor did you inscribe one with your right hand. Then [i.e., otherwise] the falsifiers would have had [cause for] doubt. ([29] Al-'Ankabut : 48)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (ऐ रसूल) क़ुरान से पहले न तो तुम कोई किताब ही पढ़ते थे और न अपने हाथ से तुम लिखा करते थे ऐसा होता तो ये झूठे ज़रुर (तुम्हारी नबुवत में) शक करते