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مَنْ كَانَ يَرْجُوْا لِقَاۤءَ اللّٰهِ فَاِنَّ اَجَلَ اللّٰهِ لَاٰتٍ ۗوَهُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ   ( العنكبوت: ٥ )

Whoever
مَن
जो कोई
[is]
كَانَ
हो
hopes
يَرْجُوا۟
उम्मीद रखता
(for the) meeting
لِقَآءَ
अल्लाह से मुलाक़ात की
(with) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह से मुलाक़ात की
then indeed
فَإِنَّ
तो बेशक
(the) Term
أَجَلَ
मुक़र्ररह वक़्त
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह का
(is) surely coming
لَءَاتٍۚ
अलबत्ता आने वाला है
And He
وَهُوَ
और वो
(is) the All-Hearer
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला है
the All-Knower
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला है

Man kana yarjoo liqaa Allahi fainna ajala Allahi laatin wahuwa alssamee'u al'aleemu (al-ʿAnkabūt 29:5)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जो व्यक्ति अल्लाह से मिलने का आशा रखता है तो अल्लाह का नियत समय तो आने ही वाला है। और वह सब कुछ सुनता, जानता है

English Sahih:

Whoever should hope for the meeting with Allah – indeed, the term [decreed by] Allah is coming. And He is the Hearing, the Knowing. ([29] Al-'Ankabut : 5)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जो शख्स ख़ुदा से मिलने (क़यामत के आने) की उम्मीद रखता है तो (समझ रखे कि) ख़ुदा की (मुक़र्रर की हुई) मीयाद ज़रुर आने वाली है और वह (सबकी) सुनता (और) जानता है