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لَنْ يَّضُرُّوْكُمْ اِلَّآ اَذًىۗ وَاِنْ يُّقَاتِلُوْكُمْ يُوَلُّوْكُمُ الْاَدْبَارَۗ ثُمَّ لَا يُنْصَرُوْنَ  ( آل عمران: ١١١ )

Never
لَن
हरगिज़ नहीं
will they harm you
يَضُرُّوكُمْ
वो नुक़सान देंगे तुम्हें
except
إِلَّآ
सिवाय
a hurt
أَذًىۖ
अज़ियत के
And if
وَإِن
और अगर
they fight you
يُقَٰتِلُوكُمْ
वो जंग करेंगे तुमसे
they will turn (towards) you
يُوَلُّوكُمُ
वो फेर दें तुमसे
the backs
ٱلْأَدْبَارَ
पुश्तें
then
ثُمَّ
फिर
not
لَا
ना वो मदद किए जाऐंगे
they will be helped
يُنصَرُونَ
ना वो मदद किए जाऐंगे

Lan yadurrookum illa athan wain yuqatilookum yuwallookumu aladbara thumma la yunsaroona (ʾĀl ʿImrān 3:111)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

थोड़ा दुख पहुँचाने के अतिरिक्त वे तुम्हारा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते। और यदि वे तुमसे लड़ेंगे, तो तुम्हें पीठ दिखा जाएँगे, फिर उन्हें कोई सहायता भी न मिलेगी

English Sahih:

They will not harm you except for [some] annoyance. And if they fight you, they will show you their backs [i.e., retreat]; then they will not be aided. ([3] Ali 'Imran : 111)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(मुसलमानों) ये लोग मामूली अज़ीयत के सिवा तुम्हें हरगिज़ ज़रर नहीं पहुंचा सकते और अगर तुमसे लड़ेंगे तो उन्हें तुम्हारी तरफ़ पीठ ही करनी होगी और फिर उनकी कहीं से मदद भी नहीं पहुंचेगी