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وَاِذْ غَدَوْتَ مِنْ اَهْلِكَ تُبَوِّئُ الْمُؤْمِنِيْنَ مَقَاعِدَ لِلْقِتَالِ ۗ وَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌۙ  ( آل عمران: ١٢١ )

And when
وَإِذْ
और जब
you left early morning
غَدَوْتَ
सुबह सवेरे निकले आप
from
مِنْ
अपने घर वालों से
your household
أَهْلِكَ
अपने घर वालों से
to post
تُبَوِّئُ
आप मुतय्यन (तैनात) कर रहे थे
the believers
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों को
(to take) positions
مَقَٰعِدَ
ठिकानों/मोर्चों पर
for the battle
لِلْقِتَالِۗ
जंग के लिए
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(is) All-Hearing
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
All-Knowing
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है

Waith ghadawta min ahlika tubawwio almumineena maqa'ida lilqitali waAllahu samee'un 'aleemun (ʾĀl ʿImrān 3:121)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

याद करो जब तुम सवेरे अपने घर से निकलकर ईमानवालों को युद्ध के मोर्चों पर लगा रहे थे। - अल्लाह तो सब कुछ सुनता, जानता है

English Sahih:

And [remember] when you, [O Muhammad], left your family in the morning to post the believers at their stations for the battle [of Uhud] – and Allah is Hearing and Knowing – ([3] Ali 'Imran : 121)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (ऐ रसूल) एक वक्त वो भी था जब तुम अपने बाल बच्चों से तड़के ही निकल खड़े हुए और मोमिनीन को लड़ाई के मोर्चों पर बिठा रहे थे और खुदा सब कुछ जानता और सुनता है