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وَمَا كَانَ لِنَفْسٍ اَنْ تَمُوْتَ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ كِتٰبًا مُّؤَجَّلًا ۗ وَمَنْ يُّرِدْ ثَوَابَ الدُّنْيَا نُؤْتِهٖ مِنْهَاۚ وَمَنْ يُّرِدْ ثَوَابَ الْاٰخِرَةِ نُؤْتِهٖ مِنْهَا ۗ وَسَنَجْزِى الشّٰكِرِيْنَ   ( آل عمران: ١٤٥ )

And not
وَمَا
और नहीं
is
كَانَ
है
for a soul
لِنَفْسٍ
किसी नफ़्स के लिए
that
أَن
कि
he dies
تَمُوتَ
वो मरे
except
إِلَّا
मगर
by (the) permission
بِإِذْنِ
अल्लाह के इज़्न से
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के इज़्न से
(at a) decree
كِتَٰبًا
लिखा हुआ है
determined
مُّؤَجَّلًاۗ
मुक़र्रर वक़्त
And whoever
وَمَن
और जो कोई
desires
يُرِدْ
चाहता है
reward
ثَوَابَ
बदला
(of) the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया का
We will give him
نُؤْتِهِۦ
हम दे देते हैं उसे
thereof
مِنْهَا
उसमें से
and whoever
وَمَن
और जो कोई
desires
يُرِدْ
चाहता है
reward
ثَوَابَ
सवाब
(of) the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत का
We will give him
نُؤْتِهِۦ
हम दे देंगे उसे
thereof
مِنْهَاۚ
उसमें से
And We will reward
وَسَنَجْزِى
और अनक़रीब हम बदला देंगे
the grateful ones
ٱلشَّٰكِرِينَ
शुक्र करने वालों को

Wama kana linafsin an tamoota illa biithni Allahi kitaban muajjalan waman yurid thawaba alddunya nutihi minha waman yurid thawaba alakhirati nutihi minha wasanajzee alshshakireena (ʾĀl ʿImrān 3:145)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और अल्लाह की अनुज्ञा के बिना कोई व्यक्ति मर नहीं सकता। हर व्यक्ति एक लिखित निश्चित समय का अनुपालन कर रहा है। और जो कोई दुनिया का बदला चाहेगा, उसे हम इस दुनिया में से देंगे, जो आख़िरत का बदला चाहेगा, उसे हम उसमें से देंगे और जो कृतज्ञता दिखलाएँगे, उन्हें तो हम बदला देंगे ही

English Sahih:

And it is not [possible] for one to die except by permission of Allah at a decree determined. And whoever desires the reward of this world – We will give him thereof; and whoever desires the reward of the Hereafter – We will give him thereof. And We will reward the grateful. ([3] Ali 'Imran : 145)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और बगैर हुक्मे ख़ुदा के तो कोई शख्स मर ही नहीं सकता वक्ते मुअय्यन तक हर एक की मौत लिखी हुई है और जो शख्स (अपने किए का) बदला दुनिया में चाहे तो हम उसको इसमें से दे देते हैं और जो शख्स आख़ेरत का बदला चाहे उसे उसी में से देंगे और (नेअमत ईमान के) शुक्र करने वालों को बहुत जल्द हम जज़ाए खैर देंगे