فَرِحِيْنَ بِمَآ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖۙ وَيَسْتَبْشِرُوْنَ بِالَّذِيْنَ لَمْ يَلْحَقُوْا بِهِمْ مِّنْ خَلْفِهِمْ ۙ اَلَّا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُوْنَۘ ( آل عمران: ١٧٠ )
Fariheena bima atahumu Allahu min fadlihi wayastabshiroona biallatheena lam yalhaqoo bihim min khalfihim alla khawfun 'alayhim wala hum yahzanoona (ʾĀl ʿImrān 3:170)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अल्लाह ने अपनी उदार कृपा से जो कुछ उन्हें प्रदान किया है, वे उसपर बहुत प्रसन्न है और उन लोगों के लिए भी ख़ुश हो रहे है जो उनके पीछे रह गए है, अभी उनसे मिले नहीं है कि उन्हें भी न कोई भय होगा और न वे दुखी होंगे
English Sahih:
Rejoicing in what Allah has bestowed upon them of His bounty, and they receive good tidings about those [to be martyred] after them who have not yet joined them – that there will be no fear concerning them, nor will they grieve. ([3] Ali 'Imran : 170)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और ख़ुदा ने जो फ़ज़ल व करम उन पर किया है उसकी (ख़ुशी) से फूले नहीं समाते और जो लोग उनसे पीछे रह गए और उनमें आकर शामिल नहीं हुए उनकी निस्बत ये (ख्याल करके) ख़ुशियॉ मनाते हैं कि (ये भी शहीद हों तो) उनपर न किसी क़िस्म का ख़ौफ़ होगा और न आज़ुर्दा ख़ातिर होंगे