الَّذِيْنَ يَذْكُرُوْنَ اللّٰهَ قِيَامًا وَّقُعُوْدًا وَّعَلٰى جُنُوْبِهِمْ وَيَتَفَكَّرُوْنَ فِيْ خَلْقِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۚ رَبَّنَا مَا خَلَقْتَ هٰذَا بَاطِلًاۚ سُبْحٰنَكَ فَقِنَا عَذَابَ النَّارِ ( آل عمران: ١٩١ )
Allatheena yathkuroona Allaha qiyaman waqu'oodan wa'ala junoobihim wayatafakkaroona fee khalqi alssamawati waalardi rabbana ma khalaqta hatha batilan subhanaka faqina 'athaba alnnari (ʾĀl ʿImrān 3:191)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो खड़े, बैठे और अपने पहलुओं पर लेटे अल्लाह को याद करते है और आकाशों और धरती की रचना में सोच-विचार करते है। (वे पुकार उठते है,) 'हमारे रब! तूने यह सब व्यर्थ नहीं बनाया है। महान है तू, अतः हमें आग की यातना से बचा ले
English Sahih:
Who remember Allah while standing or sitting or [lying] on their sides and give thought to the creation of the heavens and the earth, [saying], "Our Lord, You did not create this aimlessly; exalted are You [above such a thing]; then protect us from the punishment of the Fire. ([3] Ali 'Imran : 191)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
जो लोग उठते बैठते करवट लेते (अलगरज़ हर हाल में) ख़ुदा का ज़िक्र करते हैं और आसमानों और ज़मीन की बनावट में ग़ौर व फ़िक्र करते हैं और (बेसाख्ता) कह उठते हैं कि ख़ुदावन्दा तूने इसको बेकार पैदा नहीं किया तू (फेले अबस से) पाक व पाकीज़ा है बस हमको दोज़क के अज़ाब से बचा