يَخْتَصُّ بِرَحْمَتِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗوَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيْمِ ( آل عمران: ٧٤ )
He chooses
يَخْتَصُّ
वो ख़ास कर लेता है
for His Mercy
بِرَحْمَتِهِۦ
साथ अपनी रहमत के
whom
مَن
जिसे
He wills
يَشَآءُۗ
वो चाहता है
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(is) the Possessor
ذُو
फ़ज़ल वाला है
(of) Bounty
ٱلْفَضْلِ
फ़ज़ल वाला है
[the] great
ٱلْعَظِيمِ
बहुत बड़े
Yakhtassu birahmatihi man yashao waAllahu thoo alfadli al'atheemi (ʾĀl ʿImrān 3:74)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'वह जिसे चाहता है अपनी रहमत (दयालुता) के लिए ख़ास कर लेता है। और अल्लाह बड़ी उदारता दर्शानेवाला है।'
English Sahih:
He selects for His mercy whom He wills. And Allah is the possessor of great bounty. ([3] Ali 'Imran : 74)