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لِيَجْزِيَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ مِنْ فَضْلِهٖۗ اِنَّهٗ لَا يُحِبُّ الْكٰفِرِيْنَ  ( الروم: ٤٥ )

That He may reward
لِيَجْزِىَ
ताकि वो बदला दे
those who
ٱلَّذِينَ
उनको जो
believe
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
and do
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
righteous deeds
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
(out) of
مِن
अपने फ़ज़ल से
His Bounty
فَضْلِهِۦٓۚ
अपने फ़ज़ल से
Indeed He
إِنَّهُۥ
बेशक वो
(does) not
لَا
नहीं वो पसंद करता
like
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
the disbelievers
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों को

Liyajziya allatheena amanoo wa'amiloo alssalihati min fadlihi innahu la yuhibbu alkafireena (ar-Rūm 30:45)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ताकि वह अपने उदार अनुग्रह से उन लोगों को बदला दे जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। निश्चय ही वह इनकार करनेवालों को पसन्द नहीं करता। -

English Sahih:

That He may reward those who have believed and done righteous deeds out of His bounty. Indeed, He does not like the disbelievers. ([30] Ar-Rum : 45)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ताकि जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम किए उनको ख़ुदा अपने फज़ल व (करम) से अच्छी जज़ा अता करेगा वह यक़ीनन कुफ्फ़ार से उलफ़त नहीं रखता