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وَلَا تُصَعِّرْ خَدَّكَ لِلنَّاسِ وَلَا تَمْشِ فِى الْاَرْضِ مَرَحًاۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ كُلَّ مُخْتَالٍ فَخُوْرٍۚ  ( لقمان: ١٨ )

And (do) not
وَلَا
और ना
turn
تُصَعِّرْ
तुम मोड़ो
your cheek
خَدَّكَ
अपना गाल
from men
لِلنَّاسِ
लोगों से
and (do) not
وَلَا
और ना
walk
تَمْشِ
तुम चलो
in
فِى
ज़मीन में
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
exultantly
مَرَحًاۖ
अकड़ कर/इतरा कर
Indeed
إِنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
(does) not
لَا
नहीं वो पसंद करता
like
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
every
كُلَّ
हर
self-conceited
مُخْتَالٍ
ख़ुद पसंद
boaster
فَخُورٍ
फ़ख़्र जताने वाले को

Wala tusa''ir khaddaka lilnnasi wala tamshi fee alardi marahan inna Allaha la yuhibbu kulla mukhtalin fakhoorin (Luq̈mān 31:18)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

'और लोगों से अपना रूख़ न फेर और न धरती में इतराकर चल। निश्चय ही अल्लाह किसी अहंकारी, डींग मारनेवाले को पसन्द नहीं करता

English Sahih:

And do not turn your cheek [in contempt] toward people and do not walk through the earth exultantly. Indeed, Allah does not like everyone self-deluded and boastful. ([31] Luqman : 18)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और लोगों के सामने (गुरुर से) अपना मुँह न फुलाना और ज़मीन पर अकड़कर न चलना क्योंकि ख़ुदा किसी अकड़ने वाले और इतराने वाले को दोस्त नहीं रखता और अपनी चाल ढाल में मियाना रवी एख्तेयार करो