اَلَمْ تَرَ اَنَّ الْفُلْكَ تَجْرِيْ فِى الْبَحْرِ بِنِعْمَتِ اللّٰهِ لِيُرِيَكُمْ مِّنْ اٰيٰتِهٖۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُوْرٍ ( لقمان: ٣١ )
Alam tara anna alfulka tajree fee albahri bini'mati Allahi liyuriyakum min ayatihi inna fee thalika laayatin likulli sabbarin shakoorin (Luq̈mān 31:31)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
क्या तुमने देखा नहीं कि नौका समुद्र में अल्लाह के अनुग्रह से चलती है, ताकि वह तुम्हें अपनी कुछ निशानियाँ दिखाए। निस्संदेह इसमें प्रत्येक धैर्यवान, कृतज्ञ के लिए निशानियाँ है
English Sahih:
Do you not see that ships sail through the sea by the favor of Allah that He may show you of His signs? Indeed in that are signs for everyone patient and grateful. ([31] Luqman : 31)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
क्या तूने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि ख़ुदा ही के फज़ल से कश्ती दरिया में बहती चलती रहती है ताकि (लकड़ी में ये क़ूवत देकर) तुम लोगों को अपनी (कुदरत की) बाज़ निशानियाँ दिखा दे बेशक उस में भी तमाम सब्र व शुक्र करने वाले (बन्दों) के लिए (कुदरत ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ दिखा दे बेशक इसमें भी तमाम सब्र व शुक्र करने वाले (बन्दों) के लिए (क़ुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं