وَلَوْ تَرٰىٓ اِذِ الْمُجْرِمُوْنَ نَاكِسُوْا رُءُوْسِهِمْ عِنْدَ رَبِّهِمْۗ رَبَّنَآ اَبْصَرْنَا وَسَمِعْنَا فَارْجِعْنَا نَعْمَلْ صَالِحًا اِنَّا مُوْقِنُوْنَ ( السجدة: ١٢ )
Walaw tara ithi almujrimoona nakisoo ruoosihim 'inda rabbihim rabbana absarna wasami'na faarji'na na'mal salihan inna mooqinoona (as-Sajdah 32:12)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और यदि कहीं तुम देखते जब वे अपराधी अपने रब के सामने अपने सिर झुकाए होंगे कि 'हमारे रब! हमने देख लिया और सुन लिया। अब हमें वापस भेज दे, ताकि हम अच्छे कर्म करें। निस्संदेह अब हमें विश्वास हो गया।'
English Sahih:
If you could but see when the criminals are hanging their heads before their Lord, [saying], "Our Lord, we have seen and heard, so return us [to the world]; we will work righteousness. Indeed, we are [now] certain." ([32] As-Sajdah : 12)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ऐ रसूल) तुम को बहुत अफसोस होगा अगर तुम मुजरिमों को देखोगे कि वह (हिसाब के वक्त) अपने परवरदिगार की बारगाह में अपने सर झुकाए खड़े हैं और(अर्ज़ कर रहे हैं) परवरदिगार हमने (अच्छी तरह देखा और सुन लिया तू हमें दुनिया में एक दफा फिर लौटा दे कि हम नेक काम करें