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يَحْسَبُوْنَ الْاَحْزَابَ لَمْ يَذْهَبُوْا ۚوَاِنْ يَّأْتِ الْاَحْزَابُ يَوَدُّوْا لَوْ اَنَّهُمْ بَادُوْنَ فِى الْاَعْرَابِ يَسْاَلُوْنَ عَنْ اَنْۢبَاۤىِٕكُمْ ۖوَلَوْ كَانُوْا فِيْكُمْ مَّا قٰتَلُوْٓا اِلَّا قَلِيْلًا ࣖ  ( الأحزاب: ٢٠ )

They think
يَحْسَبُونَ
वो समझते हैं
the confederates
ٱلْأَحْزَابَ
गिरोहों /लश्करों को
(have) not
لَمْ
कि नहीं
withdrawn
يَذْهَبُوا۟ۖ
वो गए
And if
وَإِن
और अगर
(should) come
يَأْتِ
आ जाऐं
the confederates
ٱلْأَحْزَابُ
गिरोह/लश्कर
they would wish
يَوَدُّوا۟
वो चाहेंगे
if
لَوْ
काश
that they (were)
أَنَّهُم
ये कि वो
living in (the) desert
بَادُونَ
बाहर रहने वाले होते
among
فِى
बद्दुओं /एराबियों में
the Bedouins
ٱلْأَعْرَابِ
बद्दुओं /एराबियों में
asking
يَسْـَٔلُونَ
वो पूछ लिया करते
about
عَنْ
ख़बरें तुम्हारी
your news
أَنۢبَآئِكُمْۖ
ख़बरें तुम्हारी
And if
وَلَوْ
और अगर
they were
كَانُوا۟
वो होते
among you
فِيكُم
तुम में
not
مَّا
ना
they would fight
قَٰتَلُوٓا۟
वो जंग करते
except
إِلَّا
मगर
a little
قَلِيلًا
बहुत कम

Yahsaboona alahzaba lam yathhaboo wain yati alahzabu yawaddoo law annahum badoona fee ala'rabi yasaloona 'an anbaikum walaw kanoo feekum ma qataloo illa qaleelan (al-ʾAḥzāb 33:20)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वे समझ रहे है कि (शत्रु के) सैन्य दल अभी गए नहीं हैं, और यदि वे गिरोह फिर आ जाएँ तो वे चाहेंगे कि किसी प्रकार बाहर (मरुस्थल में) बद्दु ओं के साथ हो रहें और वहीं से तुम्हारे बारे में समाचार पूछते रहे। और यदि वे तुम्हारे साथ होते भी तो लड़ाई में हिस्सा थोड़े ही लेते

English Sahih:

They think the companies have not [yet] withdrawn. And if the companies should come [again], they would wish they were in the desert among the bedouins, inquiring [from afar] about your news. And if they should be among you, they would not fight except for a little. ([33] Al-Ahzab : 20)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(मदीने का मुहासेरा करने वाले चल भी दिए मगर) ये लोग अभी यही समझ रहे हैं कि (काफ़िरों के) लश्कर अभी नहीं गए और अगर कहीं (कुफ्फार का) लश्कर फिर आ पहुँचे तो ये लोग चाहेंगे कि काश वह जंगलों में गँवारों में जा बसते और (वहीं से बैठे बैठे) तुम्हारे हालात दरयाफ्त करते रहते और अगर उनको तुम लोगों में रहना पड़ता तो फ़क़त (पीछा छुड़ाने को) ज़रा ज़हूर (कहीं) लड़ते