وَقَرْنَ فِيْ بُيُوْتِكُنَّ وَلَا تَبَرَّجْنَ تَبَرُّجَ الْجَاهِلِيَّةِ الْاُوْلٰى وَاَقِمْنَ الصَّلٰوةَ وَاٰتِيْنَ الزَّكٰوةَ وَاَطِعْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۗاِنَّمَا يُرِيْدُ اللّٰهُ لِيُذْهِبَ عَنْكُمُ الرِّجْسَ اَهْلَ الْبَيْتِ وَيُطَهِّرَكُمْ تَطْهِيْرًاۚ ( الأحزاب: ٣٣ )
Waqarna fee buyootikunna wala tabarrajna tabarruja aljahiliyyati aloola waaqimna alssalata waateena alzzakata waati'na Allaha warasoolahu innama yureedu Allahu liyuthhiba 'ankumu alrrijsa ahla albayti wayutahhirakum tatheeran (al-ʾAḥzāb 33:33)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अपने घरों में टिककर रहो और विगत अज्ञानकाल की-सी सज-धज न दिखाती फिरना। नमाज़ का आयोजन करो और ज़कात दो। और अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो। अल्लाह तो बस यही चाहता है कि ऐ नबी के घरवालो, तुमसे गन्दगी को दूर रखे और तुम्हें तरह पाक-साफ़ रखे
English Sahih:
And abide in your houses and do not display yourselves as [was] the display of the former times of ignorance. And establish prayer and give Zakah and obey Allah and His Messenger. Allah intends only to remove from you the impurity [of sin], O people of the [Prophet's] household, and to purify you with [extensive] purification. ([33] Al-Ahzab : 33)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (साफ-साफ) उनवाने शाइस्ता से बात किया करो और अपने घरों में निचली बैठी रहो और अगले ज़माने जाहिलियत की तरह अपना बनाव सिंगार न दिखाती फिरो और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ा करो और (बराबर) ज़कात दिया करो और खुदा और उसके रसूल की इताअत करो ऐ (पैग़म्बर के) अहले बैत खुदा तो बस ये चाहता है कि तुमको (हर तरह की) बुराई से दूर रखे और जो पाक व पाकीज़ा दिखने का हक़ है वैसा पाक व पाकीज़ा रखे