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وَالَّذِيْنَ يُؤْذُوْنَ الْمُؤْمِنِيْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ بِغَيْرِ مَا اكْتَسَبُوْا فَقَدِ احْتَمَلُوْا بُهْتَانًا وَّاِثْمًا مُّبِيْنًا ࣖ   ( الأحزاب: ٥٨ )

And those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
harm
يُؤْذُونَ
ईज़ा देते हैं
the believing men
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिन मर्दों को
and the believing women
وَٱلْمُؤْمِنَٰتِ
और मोमिन औरतों को
for other than
بِغَيْرِ
बग़ैर( किसी गुनाह के)
what
مَا
जो
they have earned
ٱكْتَسَبُوا۟
उन्होंने कमाया
then certainly
فَقَدِ
तो तहक़ीक़
they bear
ٱحْتَمَلُوا۟
उन्होंने उठा लिया
false accusation
بُهْتَٰنًا
बोहतान
and sin
وَإِثْمًا
और गुनाह
manifest
مُّبِينًا
खुला

Waallatheena yuthoona almumineena waalmuminati bighayri ma iktasaboo faqadi ihtamaloo buhtanan waithman mubeenan (al-ʾAḥzāb 33:58)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और जो लोग ईमानवाले पुरुषों और ईमानवाली स्त्रियों को, बिना इसके कि उन्होंने कुछ किया हो (आरोप लगाकर), दुख पहुँचाते है, उन्होंने तो बड़े मिथ्यारोपण और प्रत्यक्ष गुनाह का बोझ अपने ऊपर उठा लिया

English Sahih:

And those who harm believing men and believing women for [something] other than what they have earned [i.e., deserved] have certainly borne upon themselves a slander and manifest sin. ([33] Al-Ahzab : 58)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जो लोग ईमानदार मर्द और ईमानदार औरतों को बगैर कुछ किए द्दरे (तोहमत देकर) अज़ीयत देते हैं तो वह एक बोहतान और सरीह गुनाह का बोझ (अपनी गर्दन पर) उठाते हैं