وَلَا تَنْفَعُ الشَّفَاعَةُ عِنْدَهٗٓ اِلَّا لِمَنْ اَذِنَ لَهٗ ۗحَتّٰىٓ اِذَا فُزِّعَ عَنْ قُلُوْبِهِمْ قَالُوْا مَاذَاۙ قَالَ رَبُّكُمْۗ قَالُوا الْحَقَّۚ وَهُوَ الْعَلِيُّ الْكَبِيْرُ ( سبإ: ٢٣ )
Wala tanfa'u alshshafa'atu 'indahu illa liman athina lahu hatta itha fuzzi'a 'an quloobihim qaloo matha qala rabbukum qaloo alhaqqa wahuwa al'aliyyu alkabeeru (Sabaʾ 34:23)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और उसके यहाँ कोई सिफ़ारिश काम नहीं आएगी, किन्तु उसी की जिसे उसने (सिफ़ारिश करने की) अनुमति दी हो। यहाँ तक कि जब उनके दिलों से घबराहट दूर हो जाएगी, तो वे कहेंगे, 'तुम्हारे रब ने क्या कहा?' वे कहेंगे, 'सर्वथा सत्य। और वह अत्यन्त उच्च, महान है।'
English Sahih:
And intercession does not benefit with Him except for one whom He permits. [And those wait] until, when terror is removed from their hearts, they will say [to one another], "What has your Lord said?" They will say, "The truth." And He is the Most High, the Grand. ([34] Saba : 23)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
जिसके लिए वह खुद इजाज़त अता फ़रमाए उसके सिवा कोई सिफारिश उसकी बारगाह में काम न आएगी (उसके दरबार की हैबत) यहाँ तक (है) कि जब (शिफ़ाअत का) हुक्म होता है तो शिफ़ाअत करने वाले बेहोश हो जाते हैं फिर तब उनके दिलों की घबराहट दूर कर दी जाती है तो पूछते हैं कि तुम्हारे परवरदिगार ने क्या हुक्म दिया