وَاِذَا تُتْلٰى عَلَيْهِمْ اٰيٰتُنَا بَيِّنٰتٍ قَالُوْا مَا هٰذَآ اِلَّا رَجُلٌ يُّرِيْدُ اَنْ يَّصُدَّكُمْ عَمَّا كَانَ يَعْبُدُ اٰبَاۤؤُكُمْ ۚوَقَالُوْا مَا هٰذَآ اِلَّآ اِفْكٌ مُّفْتَرًىۗ وَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لِلْحَقِّ لَمَّا جَاۤءَهُمْۙ اِنْ هٰذَآ اِلَّا سِحْرٌ مُّبِيْنٌ ( سبإ: ٤٣ )
Waitha tutla 'alayhim ayatuna bayyinatin qaloo ma hatha illa rajulun yureedu an yasuddakum 'amma kana ya'budu abaokum waqaloo ma hatha illa ifkun muftaran waqala allatheena kafaroo lilhaqqi lamma jaahum in hatha illa sihrun mubeenun (Sabaʾ 34:43)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उन्हें जब हमारी स्पष्ट़ आयतें पढ़कर सुनाई जाती है तो वे कहते है, 'यह तो बस ऐसा व्यक्ति है जो चाहता है कि तुम्हें उनसे रोक दें जिनको तुम्हारे बाप-दादा पूजते रहे है।' और कहते है, 'यह तो एक घड़ा हुआ झूठ है।' जिन लोगों ने इनकार किया उन्होंने सत्य के विषय में, जबकि वह उनके पास आया, कह दिया, 'यह तो बस एक प्रत्यक्ष जादू है।'
English Sahih:
And when Our verses are recited to them as clear evidences, they say, "This is not but a man who wishes to avert you from that which your fathers were worshipping." And they say, "This is not except a lie invented." And those who disbelieve say of the truth when it has come to them, "This is not but obvious magic." ([34] Saba : 43)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जब उनके सामने हमारी वाज़ेए व रौशन आयतें पढ़ी जाती थीं तो बाहम कहते थे कि ये (रसूल) भी तो बस (हमारा ही जैसा) आदमी है ये चाहता है कि जिन चीज़ों को तुम्हारे बाप-दादा पूजते थे (उनकी परसतिश) से तुम को रोक दें और कहने लगे कि ये (क़ुरान) तो बस निरा झूठ है और अपने जी का गढ़ा हुआ है और जो लोग काफ़िर हो बैठो जब उनके पास हक़ बात आयी तो उसके बारे में कहने लगे कि ये तो बस खुला हुआ जादू है