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قُلْ اِنْ ضَلَلْتُ فَاِنَّمَآ اَضِلُّ عَلٰى نَفْسِيْۚ وَاِنِ اهْتَدَيْتُ فَبِمَا يُوْحِيْٓ اِلَيَّ رَبِّيْۗ اِنَّهٗ سَمِيْعٌ قَرِيْبٌ   ( سبإ: ٥٠ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"If
إِن
अगर
I err
ضَلَلْتُ
मैं भटक गया
then only
فَإِنَّمَآ
तो बेशक
I will err
أَضِلُّ
मैं भटकता हूँ
against
عَلَىٰ
अपनी जान पर
myself
نَفْسِىۖ
अपनी जान पर
But if
وَإِنِ
और अगर
I am guided
ٱهْتَدَيْتُ
हिदायत पा गया मैं
then it is by what
فَبِمَا
तो बवजह उसके जो
reveals
يُوحِىٓ
वही की
to me
إِلَىَّ
मेरी तरफ़
my Lord
رَبِّىٓۚ
मेरे रब ने
Indeed He
إِنَّهُۥ
बेशक वो
(is) All-Hearer
سَمِيعٌ
बहुत सुनने वाला है
Ever-Near"
قَرِيبٌ
बहुत क़रीब है

Qul in dalaltu fainnama adillu 'ala nafsee waini ihtadaytu fabima yoohee ilayya rabbee innahu samee'un qareebun (Sabaʾ 34:50)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कहो, 'यदि मैं पथभ्रष्ट॥ हो जाऊँ तो पथभ्रष्ट होकर मैं अपना ही बुरा करूँगा, और यदि मैं सीधे मार्ग पर हूँ, तो इसका कारण वह प्रकाशना है जो मेरा रब मेरी ओर करता है। निस्संदेह वह सब कुछ सुनता है, निकट है।'

English Sahih:

Say, "If I should err, I would only err against myself. But if I am guided, it is by what my Lord reveals to me. Indeed, He is Hearing and near." ([34] Saba : 50)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम ये भी कह दो कि अगर मैं गुमराह हो गया हूँ तो अपनी ही जान पर मेरी गुमराही (का वबाल) है और अगर मैं राहे रास्त पर हूँ तो इस ''वही'' के तुफ़ैल से जो मेरा परवरदिगार मेरी तरफ़ भेजता है बेशक वह सुनने वाला (और बहुत) क़रीब है