Skip to main content

لَا الشَّمْسُ يَنْۢبَغِيْ لَهَآ اَنْ تُدْرِكَ الْقَمَرَ وَلَا الَّيْلُ سَابِقُ النَّهَارِ ۗوَكُلٌّ فِيْ فَلَكٍ يَّسْبَحُوْنَ  ( يس: ٤٠ )

Not
لَا
ना सूरज
the sun
ٱلشَّمْسُ
ना सूरज
is permitted
يَنۢبَغِى
लायक़ है
for it -
لَهَآ
उसके लिए
that
أَن
कि
it overtakes
تُدْرِكَ
वो जा पकड़े
the moon
ٱلْقَمَرَ
चाँद को
and not
وَلَا
और ना
the night
ٱلَّيْلُ
रात
(can) outstrip
سَابِقُ
सबक़त ले जाने वाली हैं
the day
ٱلنَّهَارِۚ
दिन से
but all
وَكُلٌّ
और सब के सब
in
فِى
एक मदार में
an orbit
فَلَكٍ
एक मदार में
they are floating
يَسْبَحُونَ
वो तैर रहे हैं

La alshshamsu yanbaghee laha an tudrika alqamara wala allaylu sabiqu alnnahari wakullun fee falakin yasbahoona (Yāʾ Sīn 36:40)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

न सूर्य ही से हो सकता है कि चाँद को जा पकड़े और न रात दिन से आगे बढ़ सकती है। सब एक-एक कक्षा में तैर रहे हैं

English Sahih:

It is not allowable [i.e., possible] for the sun to reach the moon, nor does the night overtake the day, but each, in an orbit, is swimming. ([36] Ya-Sin : 40)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

न तो आफताब ही से ये बन पड़ता है कि वह माहताब को जा ले और न रात ही दिन से आगे बढ़ सकती है (चाँद, सूरज, सितारे) हर एक अपने-अपने आसमान (मदार) में चक्कर लगा रहें हैं