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وَلَوْ نَشَاۤءُ لَطَمَسْنَا عَلٰٓى اَعْيُنِهِمْ فَاسْتَبَقُوا الصِّرَاطَ فَاَنّٰى يُبْصِرُوْنَ  ( يس: ٦٦ )

And if
وَلَوْ
और अगर
We willed
نَشَآءُ
हम चाहें
We (would have) surely obliterated
لَطَمَسْنَا
अलबत्ता हम मिटा दें
[over]
عَلَىٰٓ
उनकी आँखों को
their eyes
أَعْيُنِهِمْ
उनकी आँखों को
then they (would) race
فَٱسْتَبَقُوا۟
पस वो दौड़ें
(to find) the path
ٱلصِّرَٰطَ
रास्ते (की तरफ़)
then how
فَأَنَّىٰ
तो कैसे
(could) they see?
يُبْصِرُونَ
वो देख सकेंगे

Walaw nashao latamasna 'ala a'yunihim faistabaqoo alssirata faanna yubsiroona (Yāʾ Sīn 36:66)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यदि हम चाहें तो उनकी आँखें मेट दें क्योंकि वे (अपने रूढ़) मार्ग की और लपके हुए है। फिर उन्हें सुझाई कहाँ से देगा?

English Sahih:

And if We willed, We could have obliterated their eyes, and they would race to [find] the path, and how could they see? ([36] Ya-Sin : 66)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अगर हम चाहें तो उनकी ऑंखों पर झाडू फेर दें तो ये लोग राह को पड़े चक्कर लगाते ढूँढते फिरें मगर कहाँ देख पाँएगे