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اَللّٰهُ يَتَوَفَّى الْاَنْفُسَ حِيْنَ مَوْتِهَا وَالَّتِيْ لَمْ تَمُتْ فِيْ مَنَامِهَا ۚ فَيُمْسِكُ الَّتِي قَضٰى عَلَيْهَا الْمَوْتَ وَيُرْسِلُ الْاُخْرٰىٓ اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّىۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّتَفَكَّرُوْنَ  ( الزمر: ٤٢ )

Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
takes
يَتَوَفَّى
वो फ़ौत करता है
the souls
ٱلْأَنفُسَ
जानों को
(at the) time
حِينَ
वक़्त पर
(of) their death
مَوْتِهَا
उनकी मौत के
and the one who
وَٱلَّتِى
और वो जो
(does) not
لَمْ
ना
die
تَمُتْ
वो मरें
in
فِى
अपनी नींद में
their sleep
مَنَامِهَاۖ
अपनी नींद में
Then He keeps
فَيُمْسِكُ
पस वो रोक लेता है
the one whom
ٱلَّتِى
उसको
He has decreed
قَضَىٰ
उसने फ़ैसला किया
for them
عَلَيْهَا
जिस पर
the death
ٱلْمَوْتَ
मौत का
and sends
وَيُرْسِلُ
और वो भेज देता है
the others
ٱلْأُخْرَىٰٓ
दूसरी (रूहों )को
for
إِلَىٰٓ
एक वक़्त तक
a term
أَجَلٍ
एक वक़्त तक
specified
مُّسَمًّىۚ
जो मुक़र्रर है
Indeed
إِنَّ
बेशक
in
فِى
उसमें
that
ذَٰلِكَ
उसमें
surely (are) signs
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
for a people
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
who ponder
يَتَفَكَّرُونَ
जो ग़ौर व फ़िक्र करते है

Allahu yatawaffa alanfusa heena mawtiha waallatee lam tamut fee manamiha fayumsiku allatee qada 'alayha almawta wayursilu alokhra ila ajalin musamman inna fee thalika laayatin liqawmin yatafakkaroona (az-Zumar 39:42)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अल्लाह ही प्राणों को उनकी मृत्यु के समय ग्रस्त कर लेता है और जिसकी मृत्यु नहीं आई उसे उसकी निद्रा की अवस्था में (ग्रस्त कर लेता है) । फिर जिसकी मृत्यु का फ़ैसला कर दिया है उसे रोक रखता है। और दूसरों को एक नियत समय तक के लिए छोड़ देता है। निश्चय ही इसमें कितनी ही निशानियाँ है सोच-विचार करनेवालों के लिए

English Sahih:

Allah takes the souls at the time of their death, and those that do not die [He takes] during their sleep. Then He keeps those for which He has decreed death and releases the others for a specified term. Indeed in that are signs for a people who give thought. ([39] Az-Zumar : 42)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ख़ुदा ही लोगों के मरने के वक्त उनकी रूहें (अपनी तरफ़) खींच बुलाता है और जो लोग नहीं मरे (उनकी रूहें) उनकी नींद में (खींच ली जाती हैं) बस जिन के बारे में ख़ुदा मौत का हुक्म दे चुका है उनकी रूहों को रोक रखता है और बाक़ी (सोने वालों की रूहों) को फिर एक मुक़र्रर वक्त तक के वास्ते भेज देता है जो लोग (ग़ौर) और फिक्र करते हैं उनके लिए (क़ुदरते ख़ुदा की) यक़ीनी बहुत सी निशानियाँ हैं