قُلِ اللهم فَاطِرَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ عٰلِمَ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ اَنْتَ تَحْكُمُ بَيْنَ عِبَادِكَ فِيْ مَا كَانُوْا فِيْهِ يَخْتَلِفُوْنَ ( الزمر: ٤٦ )
Say
قُلِ
कह दीजिए
"O Allah!
ٱللَّهُمَّ
ऐ अल्लाह
Creator
فَاطِرَ
ऐ पैदा करने वाले
(of) the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
and the earth
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन के
Knower
عَٰلِمَ
ऐ जानने वाले
(of) the unseen
ٱلْغَيْبِ
ग़ैब
and the witnessed
وَٱلشَّهَٰدَةِ
और हाज़िर के
You
أَنتَ
तू ही
will judge
تَحْكُمُ
तू फ़ैसला करेगा
between
بَيْنَ
दर्मियान
Your slaves
عِبَادِكَ
अपने बन्दों के
in
فِى
उसमें जो
what
مَا
उसमें जो
they used (to)
كَانُوا۟
हैं वो
therein
فِيهِ
उसमें
differ"
يَخْتَلِفُونَ
वो इख़्तिलाफ़ करते
Quli allahumma fatira alssamawati waalardi 'alima alghaybi waalshshahadati anta tahkumu bayna 'ibadika fee ma kanoo feehi yakhtalifoona (az-Zumar 39:46)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहो, 'ऐ अल्लाह, आकाशो और धरती को पैदा करनेवाले; परोक्ष और प्रत्यक्ष के जाननेवाले! तू ही अपने बन्दों के बीच उस चीज़ का फ़ैसला करेगा, जिसमें वे विभेद कर रहे है।'
English Sahih:
Say, "O Allah, Creator of the heavens and the earth, Knower of the unseen and the witnessed, You will judge between your servants concerning that over which they used to differ." ([39] Az-Zumar : 46)