وَالَّذٰنِ يَأْتِيٰنِهَا مِنْكُمْ فَاٰذُوْهُمَا ۚ فَاِنْ تَابَا وَاَصْلَحَا فَاَعْرِضُوْا عَنْهُمَا ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ تَوَّابًا رَّحِيْمًا ( النساء: ١٦ )
And the two who
وَٱلَّذَانِ
और वो दो (मर्द) जो
commit it
يَأْتِيَٰنِهَا
आऐं इस (बुराई) को
among you
مِنكُمْ
तुम में से
then punish both of them
فَـَٔاذُوهُمَاۖ
तो अज़ियत दो उन दोनों को
But if
فَإِن
फिर अगर
they repent
تَابَا
वो दोनों तौबा कर लें
and correct themselves
وَأَصْلَحَا
और इस्लाह कर लें
then turn away
فَأَعْرِضُوا۟
तो ऐराज़ करो
from both of them
عَنْهُمَآۗ
उन दोनों से
Indeed
إِنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
is
كَانَ
है
Oft-forgiving
تَوَّابًا
बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला
Most-Merciful
رَّحِيمًا
निहायत रहम करने वाला
Waallathani yatiyaniha minkum faathoohuma fain taba waaslaha faa'ridoo 'anhuma inna Allaha kana tawwaban raheeman (an-Nisāʾ 4:16)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और तुममें से जो दो पुरुष यह कर्म करें, उन्हें प्रताड़ित करो, फिर यदि वे तौबा कर ले और अपने आपको सुधार लें, तो उन्हें छोड़ दो। अल्लाह तौबा क़बूल करनेवाला, दयावान है
English Sahih:
And the two who commit it [i.e., unlawful sexual intercourse] among you – punish [i.e., dishonor] them both. But if they repent and correct themselves, leave them alone. Indeed, Allah is ever Accepting of Repentance and Merciful. ([4] An-Nisa : 16)