وَلَيْسَتِ التَّوْبَةُ لِلَّذِيْنَ يَعْمَلُوْنَ السَّيِّاٰتِۚ حَتّٰىٓ اِذَا حَضَرَ اَحَدَهُمُ الْمَوْتُ قَالَ اِنِّيْ تُبْتُ الْـٰٔنَ وَلَا الَّذِيْنَ يَمُوْتُوْنَ وَهُمْ كُفَّارٌ ۗ اُولٰۤىِٕكَ اَعْتَدْنَا لَهُمْ عَذَابًا اَلِيْمًا ( النساء: ١٨ )
Walaysati alttawbatu lillatheena ya'maloona alssayyiati hatta itha hadara ahadahumu almawtu qala innee tubtu alana wala allatheena yamootoona wahum kuffarun olaika a'tadna lahum 'athaban aleeman (an-Nisāʾ 4:18)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और ऐसे लोगों की तौबा नहीं जो बुरे काम किए चले जाते है, यहाँ तक कि जब उनमें से किसी की मृत्यु का समय आ जाता है तो कहने लगता है, 'अब मैं तौबा करता हूँ।' और इसी प्रकार तौबा उनकी भी नहीं है, जो मरते दम तक इनकार करनेवाले ही रहे। ऐसे लोगों के लिए हमने दुखद यातना तैयार कर रखी है
English Sahih:
But repentance is not [accepted] of those who [continue to] do evil deeds up until, when death comes to one of them, he says, "Indeed, I have repented now," or of those who die while they are disbelievers. For them We have prepared a painful punishment. ([4] An-Nisa : 18)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और तौबा उन लोगों के लिये (मुफ़ीद) नहीं है जो (उम्र भर) तो बुरे काम करते रहे यहॉ तक कि जब उनमें से किसी के सर पर मौत आ खड़ी हुई तो कहने लगे अब मैंने तौबा की और (इसी तरह) उन लोगों के लिए (भी तौबा) मुफ़ीद नहीं है जो कुफ़्र ही की हालत में मर गये ऐसे ही लोगों के वास्ते हमने दर्दनाक अज़ाब तैयार कर रखा है