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اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ يَزْعُمُوْنَ اَنَّهُمْ اٰمَنُوْا بِمَآ اُنْزِلَ اِلَيْكَ وَمَآ اُنْزِلَ مِنْ قَبْلِكَ يُرِيْدُوْنَ اَنْ يَّتَحَاكَمُوْٓا اِلَى الطَّاغُوْتِ وَقَدْ اُمِرُوْٓا اَنْ يَّكْفُرُوْا بِهٖ ۗوَيُرِيْدُ الشَّيْطٰنُ اَنْ يُّضِلَّهُمْ ضَلٰلًا ۢ بَعِيْدًا  ( النساء: ٦٠ )

Do not
أَلَمْ
क्या नहीं
you see
تَرَ
आपने देखा
[towards]
إِلَى
तरफ़ उनके जो
those who
ٱلَّذِينَ
तरफ़ उनके जो
claim
يَزْعُمُونَ
दावा करते हैं
that they
أَنَّهُمْ
बेशक वो
believe
ءَامَنُوا۟
वो ईमान लाए
in what
بِمَآ
उस पर जो
(is) revealed
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
to you
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
and what
وَمَآ
और जो
was revealed
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
from?
مِن
आप से पहले
before you?
قَبْلِكَ
आप से पहले
They wish
يُرِيدُونَ
वो चाहते हैं
to
أَن
कि
go for judgment
يَتَحَاكَمُوٓا۟
वो फैसला ले जाऐं
to
إِلَى
तरफ़ ताग़ूत के
the false deities
ٱلطَّٰغُوتِ
तरफ़ ताग़ूत के
and surely
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
they were ordered
أُمِرُوٓا۟
वो हुक्म दिए गए
to
أَن
कि
reject
يَكْفُرُوا۟
वो कुफ़्र करें
[with] it
بِهِۦ
उसका
And wishes
وَيُرِيدُ
और चाहता है
the Shaitaan
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान
to
أَن
कि
mislead them
يُضِلَّهُمْ
वो गुमराह कर दे उन्हें
astray
ضَلَٰلًۢا
गुमराह करना
far away
بَعِيدًا
दूर का

Alam tara ila allatheena yaz'umoona annahum amanoo bima onzila ilayka wama onzila min qablika yureedoona an yatahakamoo ila alttaghooti waqad omiroo an yakfuroo bihi wayureedu alshshaytanu an yudillahum dalalan ba'eedan (an-Nisāʾ 4:60)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जो दावा तो करते है कि वे उस चीज़ पर ईमान रखते हैं, जो तुम्हारी ओर उतारी गई है और तुमसे पहले उतारी गई है। और चाहते है कि अपना मामला ताग़ूत के पास ले जाकर फ़ैसला कराएँ, जबकि उन्हें हुक्म दिया गया है कि वे उसका इनकार करें? परन्तु शैतान तो उन्हें भटकाकर बहुत दूर डाल देना चाहता है

English Sahih:

Have you not seen those who claim to have believed in what was revealed to you, [O Muhammad], and what was revealed before you? They wish to refer legislation to Taghut, while they were commanded to reject it; and Satan wishes to lead them far astray. ([4] An-Nisa : 60)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों की (हालत) पर नज़र नहीं की जो ये ख्याली पुलाओ पकाते हैं कि जो किताब तुझ पर नाज़िल की गयी और जो किताबें तुम से पहले नाज़िल की गयी (सब पर ईमान है) लाए और दिली तमन्ना ये है कि सरकशों को अपना हाकिम बनाएं हालॉकि उनको हुक्म दिया गया कि उसकी बात न मानें और शैतान तो यह चाहता है कि उन्हें बहका के बहुत दूर ले जाए