۞ وَيٰقَوْمِ مَا لِيْٓ اَدْعُوْكُمْ اِلَى النَّجٰوةِ وَتَدْعُوْنَنِيْٓ اِلَى النَّارِۗ ( غافر: ٤١ )
And O my people!
وَيَٰقَوْمِ
और ऐ मेरी क़ौम
How (is it)
مَا
क्या है
for me
لِىٓ
मुझे
(that) I call you
أَدْعُوكُمْ
मैं बुलाता हूँ तुम्हें
to
إِلَى
तरफ़ निजात के
the salvation
ٱلنَّجَوٰةِ
तरफ़ निजात के
while you call me
وَتَدْعُونَنِىٓ
और तुम बुलाते हो मुझे
to
إِلَى
तरफ़ आग के
the Fire!
ٱلنَّارِ
तरफ़ आग के
Waya qawmi ma lee ad'ookum ila alnnajati watad'oonanee ila alnnari (Ghāfir 40:41)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यह मेरे साथ क्या मामला है कि मैं तो तुम्हें मुक्ति की ओर बुलाता हूँ और तुम मुझे आग की ओर बुला रहे हो?
English Sahih:
And O my people, how is it that I invite you to salvation while you invite me to the Fire? ([40] Ghafir : 41)