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فَلَمَّا جَاۤءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ فَرِحُوْا بِمَا عِنْدَهُمْ مِّنَ الْعِلْمِ وَحَاقَ بِهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ يَسْتَهْزِءُوْنَ  ( غافر: ٨٣ )

Then when
فَلَمَّا
तो जब
came to them
جَآءَتْهُمْ
आए उनके पास
their Messengers
رُسُلُهُم
रसूल उनके
with clear proofs
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
साथ वाज़ेह दलाइल के
they rejoiced
فَرِحُوا۟
तो वो ख़ुश हुए
in what
بِمَا
उस पर जो
they had
عِندَهُم
उनके पास था
of
مِّنَ
इल्म में से
the knowledge
ٱلْعِلْمِ
इल्म में से
and enveloped
وَحَاقَ
और घेर लिया
them
بِهِم
उन्हें
what
مَّا
उसने जो
they used (to)
كَانُوا۟
थे वो
[at it]
بِهِۦ
जिसका
mock
يَسْتَهْزِءُونَ
वो मज़ाक़ उड़ाते

Falamma jaathum rusuluhum bialbayyinati farihoo bima 'indahum mina al'ilmi wahaqa bihim ma kanoo bihi yastahzioona (Ghāfir 40:83)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर जब उनके रसूल उनके पास स्पष्ट प्रमाणों के साथ आए तो जो ज्ञान उनके अपने पास था वे उसी पर मग्न होते रहे और उनको उसी चीज़ ने आ घेरा जिसका वे परिहास करते थे

English Sahih:

And when their messengers came to them with clear proofs, they [merely] rejoiced in what they had of knowledge, but they were enveloped by what they used to ridicule. ([40] Ghafir : 83)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

फिर जब उनके पैग़म्बर उनके पास वाज़ेए व रौशन मौजिज़े ले कर आए तो जो इल्म (अपने ख्याल में) उनके पास था उस पर नाज़िल हुए और जिस (अज़ाब) की ये लोग हँसी उड़ाते थे उसी ने उनको चारों तरफ से घेर लिया