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وَالَّذِيْنَ يَجْتَنِبُوْنَ كَبٰۤىِٕرَ الْاِثْمِ وَالْفَوَاحِشَ وَاِذَا مَا غَضِبُوْا هُمْ يَغْفِرُوْنَ ۚ   ( الشورى: ٣٧ )

And those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
avoid
يَجْتَنِبُونَ
इजतिनाब करते हैं
(the) greater
كَبَٰٓئِرَ
कबीरा
sins
ٱلْإِثْمِ
गुनाहों से
and the immoralities
وَٱلْفَوَٰحِشَ
और बेहयाई के कामों से
and when
وَإِذَا
और जब भी
and when
مَا
और जब भी
they are angry
غَضِبُوا۟
वो ग़ज़बनाक होते है
they
هُمْ
वो
forgive
يَغْفِرُونَ
वो माफ़ कर देते हैं

Waallatheena yajtaniboona kabaira alithmi waalfawahisha waitha ma ghadiboo hum yaghfiroona (aš-Šūrā 42:37)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जो बड़े-बड़े गुनाहों और अश्लील कर्मों से बचते है और जब उन्हे (किसी पर) क्रोध आता है तो वे क्षमा कर देते हैं;

English Sahih:

And those who avoid the major sins and immoralities, and when they are angry, they forgive, ([42] Ash-Shuraa : 37)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जो लोग बड़े बड़े गुनाहों और बेहयाई की बातों से बचे रहते हैं और ग़ुस्सा आ जाता है तो माफ कर देते हैं