فَاخْتَلَفَ الْاَحْزَابُ مِنْۢ بَيْنِهِمْ ۚفَوَيْلٌ لِّلَّذِيْنَ ظَلَمُوْا مِنْ عَذَابِ يَوْمٍ اَلِيْمٍ ( الزخرف: ٦٥ )
But differed
فَٱخْتَلَفَ
पस इख़्तिलाफ़ किया
the factions
ٱلْأَحْزَابُ
गिरोहों ने
from
مِنۢ
आपस में
among them
بَيْنِهِمْۖ
आपस में
so woe
فَوَيْلٌ
पस हलाकत है
to those who
لِّلَّذِينَ
उनके लिए जिन्होंने
wronged
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
from
مِنْ
अज़ाब से
(the) punishment
عَذَابِ
अज़ाब से
(of the) Day
يَوْمٍ
दर्दनाक दिन के
painful
أَلِيمٍ
दर्दनाक दिन के
Faikhtalafa alahzabu min baynihim fawaylun lillatheena thalamoo min 'athabi yawmin aleemin (az-Zukhruf 43:65)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
किन्तु उनमें के कितने ही गिरोहों ने आपस में विभेद किया। अतः तबाही है एक दुखद दिन की यातना से, उन लोगों के लिए जिन्होंने ज़ुल्म किया
English Sahih:
But the denominations from among them differed [and separated], so woe to those who have wronged from the punishment of a painful Day. ([43] Az-Zukhruf : 65)