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۞ اَللّٰهُ الَّذِيْ سَخَّرَ لَكُمُ الْبَحْرَ لِتَجْرِيَ الْفُلْكُ فِيْهِ بِاَمْرِهٖ وَلِتَبْتَغُوْا مِنْ فَضْلِهٖ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَۚ   ( الجاثية: ١٢ )

Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
(is) the One Who
ٱلَّذِى
वो है जिसने
subjected
سَخَّرَ
मुसख़्खर किया
to you
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
the sea
ٱلْبَحْرَ
समुन्दर को
that may sail
لِتَجْرِىَ
ताकि चलें
the ships
ٱلْفُلْكُ
कश्तियाँ
therein
فِيهِ
उसमें
by His Command
بِأَمْرِهِۦ
उसके हुक्म से
and that you may seek
وَلِتَبْتَغُوا۟
और ताकि तुम तलाश करो
of
مِن
उसके फ़ज़ल से
His Bounty
فَضْلِهِۦ
उसके फ़ज़ल से
and that you may
وَلَعَلَّكُمْ
और ताकि तुम
give thanks
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्र अदा करो

Allahu allathee sakhkhara lakumu albahra litajriya alfulku feehi biamrihi walitabtaghoo min fadlihi wala'allakum tashkuroona (al-Jāthiyah 45:12)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वह अल्लाह ही है जिसने समुद्र को तुम्हारे लिए वशीभूत कर दिया है, ताकि उसके आदेश से नौकाएँ उसमें चलें; और ताकि तुम उसका उदार अनुग्रह तलाश करो; और इसलिए कि तुम कृतज्ञता दिखाओ

English Sahih:

It is Allah who subjected to you the sea so that ships may sail upon it by His command and that you may seek of His bounty; and perhaps you will be grateful. ([45] Al-Jathiyah : 12)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ख़ुदा ही तो है जिसने दरिया को तुम्हारे क़ाबू में कर दिया ताकि उसके हुक्म से उसमें कश्तियां चलें और ताकि उसके फज़ल (व करम) से (मआश की) तलाश करो और ताकि तुम शुक्र करो