ثُمَّ جَعَلْنٰكَ عَلٰى شَرِيْعَةٍ مِّنَ الْاَمْرِ فَاتَّبِعْهَا وَلَا تَتَّبِعْ اَهْوَاۤءَ الَّذِيْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ ( الجاثية: ١٨ )
Then
ثُمَّ
फिर
We put you
جَعَلْنَٰكَ
कर दिया हमने आपको
on
عَلَىٰ
वाज़ेह रास्ते पर
an ordained way
شَرِيعَةٍ
वाज़ेह रास्ते पर
of
مِّنَ
(मामले में) दीन के
the matter;
ٱلْأَمْرِ
(मामले में) दीन के
so follow it
فَٱتَّبِعْهَا
पस पैरवी कीजिए उसकी
and (do) not
وَلَا
और ना
follow
تَتَّبِعْ
आप पैरवी कीजिए
(the) desires
أَهْوَآءَ
ख़्वाहिशात की
(of) those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों की जो
(do) not
لَا
नहीं वो इल्म रखते
know
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
Thumma ja'alnaka 'ala sharee'atin mina alamri faittabi'ha wala tattabi' ahwaa allatheena la ya'lamoona (al-Jāthiyah 45:18)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर हमने तुम्हें इस मामलें में एक खुले मार्ग (शरीअत) पर कर दिया। अतः तुम उसी पर चलो और उन लोगों की इच्छाओं का अनुपालन न करना जो जानते नहीं
English Sahih:
Then We put you, [O Muhammad], on an ordained way concerning the matter [of religion]; so follow it and do not follow the inclinations of those who do not know. ([45] Al-Jathiyah : 18)