اَمْ حَسِبَ الَّذِيْنَ اجْتَرَحُوا السَّيِّاٰتِ اَنْ نَّجْعَلَهُمْ كَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ سَوَاۤءً مَّحْيَاهُمْ وَمَمَاتُهُمْ ۗسَاۤءَ مَا يَحْكُمُوْنَ ࣖࣖ ( الجاثية: ٢١ )
Am hasiba allatheena ijtarahoo alssayyiati an naj'alahum kaallatheena amanoo wa'amiloo alssalihati sawaan mahyahum wamamatuhum saa ma yahkumoona (al-Jāthiyah 45:21)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
(क्या मार्गदर्शन और पथभ्रष्ट ता समान है) या वे लोग, जिन्होंने बुराइयाँ कमाई है, यह समझ बैठे हैं कि हम उन्हें उन लोगों जैसा कर देंगे जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए कि उनका जीना और मरना समान हो जाए? बहुत ही बुरा है जो निर्णय वे करते है!
English Sahih:
Or do those who commit evils think We will make them like those who have believed and done righteous deeds – [make them] equal in their life and their death? Evil is that which they judge [i.e., assume]. ([45] Al-Jathiyah : 21)