وَاِذَا تُتْلٰى عَلَيْهِمْ اٰيٰتُنَا بَيِّنٰتٍ مَّا كَانَ حُجَّتَهُمْ اِلَّآ اَنْ قَالُوا ائْتُوْا بِاٰبَاۤىِٕنَآ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ( الجاثية: ٢٥ )
And when
وَإِذَا
और जब
are recited
تُتْلَىٰ
पढ़ी जाती हैं
to them
عَلَيْهِمْ
उन पर
Our Verses
ءَايَٰتُنَا
आयात हमारी
clear
بَيِّنَٰتٍ
वाज़ेह
not
مَّا
नहीं
is
كَانَ
होती
their argument
حُجَّتَهُمْ
हुज्जत उनकी
except
إِلَّآ
मगर
that
أَن
ये कि
they say
قَالُوا۟
वो कहते हैं
"Bring
ٱئْتُوا۟
ले आओ
our forefathers
بِـَٔابَآئِنَآ
हमारे आबा ओ अजदाद को
if
إِن
अगर
you are
كُنتُمْ
हो तुम
truthful"
صَٰدِقِينَ
सच्चे
Waitha tutla 'alayhim ayatuna bayyinatin ma kana hujjatahum illa an qaloo itoo biabaina in kuntum sadiqeena (al-Jāthiyah 45:25)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जब उनके सामने हमारी स्पष्ट आयतें पढ़ी जाती है, तो उनकी हुज्जत इसके सिवा कुछ और नहीं होती कि वे कहते है, 'यदि तुम सच्चे हो तो हमारे बाप-दादा को ले आओ।'
English Sahih:
And when Our verses are recited to them as clear evidences, their argument is only that they say, "Bring [back] our forefathers, if you should be truthful." ([45] Al-Jathiyah : 25)