۞ وَاذْكُرْ اَخَا عَادٍۗ اِذْ اَنْذَرَ قَوْمَهٗ بِالْاَحْقَافِ وَقَدْ خَلَتِ النُّذُرُ مِنْۢ بَيْنِ يَدَيْهِ وَمِنْ خَلْفِهٖٓ اَلَّا تَعْبُدُوْٓا اِلَّا اللّٰهَ ۗاِنِّيْٓ اَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيْمٍ ( الأحقاف: ٢١ )
Waothkur akha 'adin ith anthara qawmahu bialahqafi waqad khalati alnnuthuru min bayni yadayhi wamin khalfihi alla ta'budoo illa Allaha innee akhafu 'alaykum 'athaba yawmin 'atheemin (al-ʾAḥq̈āf 46:21)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
आद के भाई को याद करो, जबकि उसने अपनी क़ौम के लोगों को अहक़ाफ़ में सावधान किया, और उसके आगे और पीछे भी सावधान करनेवाले गुज़र चुके थे - कि, 'अल्लाह के सिवा किसी की बन्दगी न करो। मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े दिन की यातना का भय है।'
English Sahih:
And mention, [O Muhammad], the brother of Aad, when he warned his people in [the region of] al-Ahqaf – and warners had already passed on before him and after him – [saying], "Do not worship except Allah. Indeed, I fear for you the punishment of a terrible day." ([46] Al-Ahqaf : 21)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ऐ रसूल) तुम आद को भाई (हूद) को याद करो जब उन्होंने अपनी क़ौम को (सरज़मीन) अहक़ाफ में डराया और उनके पहले और उनके बाद भी बहुत से डराने वाले पैग़म्बर गुज़र चुके थे (और हूद ने अपनी क़ौम से कहा) कि ख़ुदा के सिवा किसी की इबादत न करो क्योंकि तुम्हारे बारे में एक बड़े सख्त दिन के अज़ाब से डरता हूँ